हिन्दी सत्ता की भाषा नहीं, जनभाषा बनें

जब भाषा सत्ता की हो जाती है, तो सत्ताधारी को तिरस्कृत किया जाता है। हिन्दी को सत्ता की भाषा नहीं, जनभाषा बननी है। विकल्प के विशेष समारोह का उद्घाटन करते हुए भाषा पंडित एवं संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. पी.पवित्रन ने बताया।

केरल के विश्वविद्यालयों से हिन्दी में पीएचडी के लिए स्वीकृत शोध-प्रबन्धों में से एक उत्कृष्ठ शोध-प्रबन्ध को ‘विकल्प अनुसन्धान पुरस्कार’ प्रदान किया जाता है। 27 मई 2023 को आयोजित कार्यक्रम में प्रथम विकल्प अनुसन्धान पुरस्कार डॉ. राजेष आर. को श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. पी. पवित्रन ने समर्पित किया। रु. 20,000/- नकद, प्रमाण पत्र एवं उपहार है पुरस्कार।

केरल के वरिष्ठ हिन्दी लेखकों, प्रो. टी. के. प्रभाकरन, प्रो. के. एस. सोमनाथन नायर और डॉ. पी.वी. कृष्णन नायर का समादरण भी किया गया।

सेवा से निवृत्त होने वाले विकल्प के सदस्यों डॉ. मिनी ई. एवं डॉ. राधामणी सी. के साथ स्नेह-संगम आयोजित किया गया।

अलीगढ़ मुस्लीम विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. वी. के. अब्दुल जलील मुख्य अतिथि रहे। विकल्प के अध्यक्ष डॉ. के.जी. प्रभाकरन ने अध्यक्षता की। कु. केसरबेन राजपुरोहित ने स्वागत किया तथा सचिव डॉ. वी.जी. गोपालकृष्णन ने धन्यवाद किया।

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