हिन्दी सत्ता की भाषा नहीं, जनभाषा बनें
जब भाषा सत्ता की हो जाती है, तो सत्ताधारी को तिरस्कृत किया जाता है। हिन्दी को सत्ता की भाषा नहीं, जनभाषा बननी है। विकल्प के विशेष समारोह का उद्घाटन करते हुए भाषा पंडित एवं संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. पी.पवित्रन ने बताया। केरल के विश्वविद्यालयों से हिन्दी में पीएचडी के लिए स्वीकृत शोध-प्रबन्धों में से […]
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